Mansi savita

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लेखनी प्रतियोगिता -14-Sep-2023

दिल मेरा शीशे का है कितना तुम इसे तोड़ोगे
दिल को मेरे कब तक ऐसे किसी और के वास्ते जोड़ोगे
कभी शक कभी गुस्से के हक में ऐसे कलाई मोड़ोगे
कहके गुस्से में तेरे साथ नही रहना है मुझको अब
ऐसे कहके छोड़ोगे
मेरे दिल का दर्द तुम पढ़ नहीं सकते
हर दिन कितना गम मैं पी लेती हूं
खुश है परिवार तो हम चुप चुप न कोई रहस्य खोलेंगे
कहते हो तुम बोलो जल्दी वक्त नहीं है मेरे पास अब तो
प्यार का बंधन ये सूत्र है याद की 
इसे भी तुम भूलोगे
मंगल सूत्र को टूट के मोती बिखरे है सब कैसे पिरोंगे
हर दिन जो मेरा दिल सीसे का उसी तुम कब तक तोड़ोगे
मेरे अश्क बहते देख मैं देखती हूं शीसा दिल से हट गए अब न कुछ हम बोलेंगे
चुप हो अपने बच्चो को चेहरा देख के रुक सा मैं जाती हूं
इस रिश्ते में बंध के थामी हूं वरना कह दूं मैं भी अब मैं न ये सब सहोंगी
दिल मेरा सीसे का है कितना तुम इसे तोड़ोगे
दिल को मेरे कब तक ऐसे किसी और के वास्ते जोड़ोगे।।

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3 Comments

Abhinav ji

16-Sep-2023 07:35 AM

Very nice 👍

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Varsha_Upadhyay

15-Sep-2023 04:09 PM

Nice 👍🏼

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Gunjan Kamal

14-Sep-2023 10:59 PM

👏👌

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